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Air India AI171 हादसे के बाद 15% इंटरनेशनल फ्लाइट्स रद्द – भरोसे का संकट या मजबूरी?

Air India AI171 हादसे मे बचा सिर्फ एक Survivor

 

एक ज़िंदा बचा, लेकिन टूट गया सब कुछ…

13 जून 2025 की सुबह, अहमदाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान एक Air India का Boeing 787 विमान हादसे का शिकार हो गया।
किसी ने सोचा भी नहीं था कि AI171 फ्लाइट, जो मुंबई से अहमदाबाद आ रही थी, उसकी खबर अगले दिन सिर्फ स्क्रीनों पर नहीं बल्कि हर दिल में गूंजेगी।

इस क्रैश में 57 लोग मारे गए। और एकमात्र ज़िंदा बचे युवक ने अपने छोटे भाई की लाश खुद कांधे पर उठाई।
वो तस्वीर – जिसमें वो अपने भाई के ताबूत को पकड़े हुए अस्पताल से बाहर निकल रहा था – इंटरनेट नहीं, इंसानियत को हिला गई।

हादसे के बाद का पहला सवाल: "अब कौन उड़ान भरे?"

Air India की पहचान एक वक्त भारत की शान मानी जाती थी। लेकिन AI171 हादसे ने इस भरोसे में एक खामोश दरार डाल दी है।

लोगों की भावनाएं बदल गईं:

  • “अब मैं दो बार सोचूंगा...” — एक यात्री का बयान

  • “प्लेन में बैठने से पहले दिल बैठ जाता है” — एक बुजुर्ग महिला

बात सिर्फ प्लेन की नहीं है, बात उस भरोसे की है जो आसमान में उड़ते वक़्त हमारे दिल में होता है।

हादसे के बाद: Air India का बड़ा फैसला

17 जून को एयर इंडिया ने ऐलान किया कि वह अगले कुछ हफ्तों के लिए 15% इंटरनेशनल फ्लाइट्स को अस्थायी रूप से रद्द कर रहा है।

एयरलाइन का तर्क:

"हम अपने संसाधनों को री-चेक कर रहे हैं। क्रू मेंबर्स, प्लेन्स और टेक्निकल स्टाफ – सभी के लिए सेफ्टी प्रायॉरिटी है।"

लेकिन सवाल ये भी है:

  • क्या ये निर्णय यात्रियों की सुरक्षा के लिए है?

  • या कंपनी के ऊपर बढ़ते दबाव, इंश्योरेंस दावों और भरोसे की कमी ने मजबूर कर दिया?

अकेला Survivor और भाई की बॉडी

हादसे के एकमात्र ज़िंदा बचे व्यक्ति की कहानी हर किसी को तोड़ गई।

नाम – प्रकाश शाह (24 वर्षीय)
AI171 में वो अपने छोटे भाई अंशुल के साथ सफर कर रहा था। हादसे के बाद अंशुल की मौत हो गई।
प्रकाश खुद गंभीर रूप से घायल था, लेकिन जब उसे छुट्टी मिली, उसने अपने भाई के ताबूत को खुद अपने कंधे पर उठाया।

“उसे मुझ पर भरोसा था... लेकिन मैं उसे बचा नहीं पाया।” – प्रकाश

विमानन सेक्टर में भरोसे की गिरावट

AI171 हादसे के बाद केवल एयर इंडिया नहीं, बल्कि पूरे भारतीय विमानन सेक्टर पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए सवाल:

  • “Boeing 787 की मेंटेनेंस कितनी regularly होती है?”

  • “क्या क्रू को ठीक से ट्रेन्ड किया गया था?”

  • “पिछले महीने भी engine में technical snag की खबर आई थी – क्या उसे ignore किया गया?”

तकनीकी जांच और एयर इंडिया की तैयारी

एयर इंडिया ने DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के साथ मिलकर internal investigation शुरू की है।
साथ ही उन्होंने कहा है कि सभी wide-body aircrafts की सख्त जांच होगी।

लेकिन जनता का सवाल है:

“अगर हादसा होने से पहले जाँच हो जाती तो शायद ये 57 लोग आज जिंदा होते…”

यात्रियों का अनुभव: अब उड़ान भरोसे की नहीं, डर की है

जिन्होंने हाल ही में एयर इंडिया से यात्रा की – उनके अनुभव बर्फ़ जैसे ठंडे और बेचैन थे:

  • “हर हलका झटका लगता था जैसे फिर से कुछ बुरा ना हो जाए”

  • “क्रू से मुस्कान गायब थी, जैसे वो भी डरे हुए हों”

  • “Announcements robotic लगे – जैसे इंसानों से नहीं, मशीन से हो रहे हों”

Air India की अपील: “हमें समय दीजिए... हम लौटेंगे बेहतर बनकर”

Air India ने अपने सोशल मीडिया, वेबसाइट और प्रेस स्टेटमेंट में एक ही बात कही:

“हम माफ़ी मांगते हैं… और वादा करते हैं कि ये हादसा आखिरी था।”

लेकिन क्या जनता अब इस वादे पर यकीन कर पाएगी?
क्या जिनके अपनों को खोया, वो कभी दोबारा इस एयरलाइंस का टिकट लेंगे?

हादसे से सबक या बस रुटीन जांच?

भारत में सालाना हजारों घरेलू और इंटरनेशनल फ्लाइट्स होती हैं। लेकिन हर एक हादसा, हर एक मौत, एक सिस्टम के अनदेखेपन की कीमत होती है।

AI171 ने दिखाया:

  • हमें तकनीक पर नहीं, सतर्कता पर भरोसा करना चाहिए

  • जाँच सिर्फ हादसे के बाद नहीं, पहले होनी चाहिए

  • पायलट्स, टेक्नीशियन, क्रू – सबकी थकान, टेंशन और हालात की मॉनिटरिंग जरूरी है

एक देश, एक सवाल: क्या हमने सीख लिया?

हर हादसा एक खामोश टीका है – एक चीख जो कहती है:

“इस बार सुन लो, अगली बार हम नहीं बोल पाएंगे…”

Air India AI171 के 57 यात्री अब कभी नहीं बोलेंगे, लेकिन उनके पीछे रह गए लोग, उनकी कहानियाँ, और वो अकेला लड़का जो भाई की लाश उठाकर निकला – सब एक ही बात कह रहे हैं:

अब चुप मत रहो... अब बदलाव लाओ।

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