भीड़भाड़ वाली इंदौर की सड़कों पर अगर आप ध्यान से देखेंगे, तो आपको एक ऐसी महिला दिखेगी जो 79 की उम्र में भी रोज़ खाना पका रही हैं — न थकी हैं, न झुकी हैं। उन्होंने ज़िंदगी का आधा हिस्सा भारतीय सेना को दिया, और अब बचा हुआ हिस्सा इंदौर की जनता को प्यार, मेहनत और सादगी से बना खाना खिलाने में लगा दिया है। यह कहानी है एक पूर्व महिला सैनिक अम्मा की — जो आज भी मोर्चे पर हैं, बस लड़ाई अब भूख और खुद्दारी की है। उम्र की नहीं, आत्मा की सुनती हैं अम्मा जब हम 79 की उम्र की कल्पना करते हैं, तो एक बुज़ुर्ग चेहरा, कमज़ोर शरीर और आराम की ज़रूरत हमारी आंखों में उतरती है। लेकिन अम्मा इन सबको नकारती हैं। उन्होंने कभी अपने जीवन को "retirement" के रूप में नहीं देखा — उनके लिए सेवा करना ही जीवन का दूसरा नाम है। सेना से रिटायर होने के बाद ज़्यादातर लोग आराम करने लगते हैं। लेकिन अम्मा ने चुना कि वो खुद को व्यस्त रखें, खुद्दार बनें और फिर से समाज के बीच में लौटें — इस बार एक छोटे से फूड स्टॉल की मालकिन बनकर, जिसे वो पूरी शिद्दत और गरिमा से चलाती हैं। खाना सिर्फ भूख नहीं मिटाता, आत्मा भी जोड़ता है...
Shubman Gill और Pant की जोड़ी से इंग्लैंड हिल गया सुबह का सूरज और भारतीय उम्मीदें – दूसरा दिन शुरू होता है Headingley का आसमान साफ़ था, लेकिन हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के दिल में एक बेचैनी थी। रात को स्कोर 198/3 था। Pujara आउट हो चुके थे। सामने थे Shubman Gill और Rishabh Pant — दो contrasting style वाले खिलाड़ी। एक शांत समंदर, दूसरा तूफानी नदी। सुबह 10 बजे जैसे ही पहला ball फेंका गया, पूरे भारत ने अपने-अपने mobile, TV और notifications पर नजरें गड़ा दीं। और फिर जो हुआ, उसने सिर्फ स्कोरबोर्ड नहीं, हिंदुस्तान के दिल की धड़कनें भी तेज़ कर दीं। Gill – एक कप्तान, एक साधक Shubman Gill ने सुबह जो timing दिखाई, वो textbook में नहीं मिलती – वो ‘दिल’ से आती है। हर ball को आंखों से नहीं, धैर्य से खेलते हुए Gill ने अपनी century को epic बना दिया। Forward defence में विश्वास Pull shots में authority और singles में calm confidence जब उन्होंने अपना 100 पूरा किया, इंग्लैंड के दर्शकों ने भी खड़े होकर तालियाँ बजाई — जैसे एक कला देख रहे हों। Gill के लिए ये century सिर्फ personal mile...