गोपालगंज में 24 घण्टे में 13 लोगों को सांप ने काटा 1 महिला की मौत।
स्थान: गोपालगंज, बिहार
तारीख: जून 2025
गोपालगंज जिले में बीते 24 घंटों के भीतर जो मंजर सामने आया, उसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। अलग-अलग गांवों से कुल 13 लोगों को सांप के डसने की घटनाएं सामने आईं, जिनमें से एक महिला की मौत हो चुकी है। यह घटना न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी बताती है कि गर्मियों और मानसून के इस बदलते मौसम में सांपों का खतरा किस कदर बढ़ गया है।
कैसे फैला दहशत का साया?
बीते दिन गोपालगंज के सदर अस्पताल में लगातार सांप के काटे हुए मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी। अलग-अलग प्रखंडों जैसे कुचायकोट, बैकुंठपुर, मांझा और थावे से एक-एक कर लोगों को अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, सभी मामलों में सांप के डसने के लक्षण साफ तौर पर नजर आ रहे थे।
जिस महिला की मौत हुई, उसकी पहचान कुचायकोट की रहने वाली मीरा देवी (उम्र 42) के रूप में हुई है। उन्हें खेत में काम करते वक्त सांप ने काट लिया। घर वाले पहले झोलाछाप वैद्य के पास ले गए, जिससे इलाज में देरी हुई और उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। कुछ लोगों की जान तो झाड फुक के चक्कर मे पड़ने से हो जाती है। जब तक अस्पताल पहुचते है तक काफी देर हो चुकी होती है। अगर मरीज को तुरंत अस्पताल लाया जाए तो शायद किसी की मौत सांप के काटने से ना हो।
लगातार आ रहे हैं केस
सदर अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया:
“गर्मी और बारिश के इस मिलेजुले मौसम में सांप अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं। खासतौर पर खेतों, पुराने मकानों और गंदी जगहों पर इनकी मौजूदगी ज्यादा होती है।”
13 लोगों में से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें बेहतर इलाज के लिए गोरखपुर रेफर किया गया है।
आम लोगों में डर का माहौल
इन घटनाओं के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में डर का माहौल है। कई गांवों में लोग खेतों में काम करने से बच रहे हैं। बच्चे अब घरों से बाहर कम निकल रहे हैं और गांवों में रात को दरवाजे बंद रखने की सख्त हिदायत दी जा रही है। कुछ जगहों पर लोग सांप भगाने के लिए नीम, फिटकरी और गोबर के उपाय भी अपना रहे हैं।
क्यों बढ़ रही हैं सांप काटने की घटनाएं?
मौसम में बदलाव: गर्मी के बाद बारिश की शुरुआत सांपों के व्यवहार में बदलाव लाती है। वे ठंडी और सूखी जगहों की तलाश में घरों, खेतों और बागानों की ओर बढ़ते हैं।
घरों में साफ-सफाई की कमी: कई ग्रामीण घरों में दीवारों की दरारें, फर्श के नीचे की जगह या पुराने सामान सांपों के छुपने की जगह बन जाते हैं।
जागरूकता की कमी: बहुत से लोग अब भी प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल जाने की बजाय झाड़-फूंक और देसी इलाज पर भरोसा करते हैं, जिससे मौत का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
क्या कहता है स्वास्थ्य विभाग?
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सभी PHC (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) को सतर्क कर दिया गया है। सभी जगहों पर एंटी-वेनम इंजेक्शन की व्यवस्था की गई है। साथ ही, लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
"हमने सभी ग्रामीण आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे लोगों को सतर्क करें, खेतों में काम करते समय पूरी बाजू के कपड़े पहनें और रात को जमीन पर न सोएं।"
किस तरह से करें बचाव?
बचाव ही सबसे अच्छा इलाज होता है। कुछ आसान लेकिन असरदार उपाय इस प्रकार हैं:
हमेशा खेतों में काम करते वक्त जूते और दस्ताने पहनें।
घरों और आसपास की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
जमीन पर न सोएं, खासकर खुले में।
अगर सांप काटे तो तुरंत अस्पताल पहुंचें। झाड़-फूंक या देसी इलाज में समय बर्बाद न करें।
सच्ची घटनाएं जो रुला देती हैं
मीरा देवी की मौत के बाद उनके बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। उनका 10 साल का बेटा लगातार मां को याद कर रहा है। एक ग्रामीण बुजुर्ग ने कहा,
“हमारे गांव में इससे पहले कभी इतनी बार में इतने सांपों का हमला नहीं हुआ। लगता है जैसे प्रकृति खुद गुस्से में है।”
सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं तेज
जैसे ही खबर फैली, सोशल मीडिया पर लोगों ने चिंता जाहिर की। कई लोगों ने स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठाए कि अब तक कोई जागरूकता अभियान क्यों नहीं चला। वहीं कुछ ने लिखा:
“बिहार जैसे राज्य में हर साल सैकड़ों लोग सांप के काटने से मरते हैं, फिर भी इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता।”
क्या कहता है आंकड़ा?
WHO के मुताबिक, भारत में हर साल 50,000 से अधिक लोग सांप के डसने से अपनी जान गंवाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा केस ग्रामीण इलाकों से आते हैं, जहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित होती हैं।
अंत में...
सांप का डंक जितना जहरीला होता है, उतना ही जानलेवा होता है हमारा लापरवाही भरा रवैया। गोपालगंज की यह घटना सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है — हमारे लिए, हमारे सिस्टम के लिए और हमारे समाज के लिए।
जीवन अनमोल है, और उसकी सुरक्षा हमारी सतर्कता में छिपी है।

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