झारखंड में आसमान फटा नहीं, उम्मीदें बरसने लगीं।
कहीं छप्पर के नीचे दादी चाय चढ़ा रही है,
कहीं स्कूल बंद होने की खबर से बच्चे उछल रहे हैं,
कहीं किसान अपनी धरती को देखकर मुस्कुरा रहा है।
मानसून आया है, और उसके साथ आई है उम्मीद।
Red Alert – डर भी, इंतजार भी
IMD ने साफ़-साफ़ कहा:
“भारी वर्षा के आसार हैं — विशेषकर रांची, चाईबासा, दुमका और लोहरदगा ज़िलों में।”
सरकारी चेतावनी आई, और सोशल मीडिया पर मीम्स भी।
पर झारखंड जानता है —
जहां डर है, वहां जीने की वजह भी होती है।
खेतों में जान आई – हल से पहले आंसू बहते थे
तीन महीने से सूखा पड़ा था।
धान का बीज बोया नहीं गया था, क्योंकि पानी ही नहीं था।
पर अब जब बादल गरजे,
तो सबसे पहले किसान की आंखों से पानी गिरा —
ये खुशी के आँसू थे।
“पिछली बार भीग नहीं पाया था खेत... इस बार खुद भीग जाऊंगा।” — लोहरदगा के एक किसान की बात।
बच्चों की छुट्टियाँ और कीचड़ में फिसलती हँसी
सरकारी स्कूल बंद हुए — और बच्चे ट्यूशन छोड़ कीचड़ में खेलने निकल गए।
Plastics की बोट बनाकर नाली में चलाना,
बरसात में भीगते हुए “पानी आया रे पानी” चिल्लाना —
ये वही झारखंड है जो modern भी है, मासूम भी।
गरीब के लिए छत – अब डर भी है, प्यार भी
जहां बारिश खुशियों की दस्तक है, वहीं कच्चे मकानों के लिए ये एक जंग भी है।
दीवारें भीग रही हैं, छत टपक रही है, लेकिन मां अब भी अपने बच्चे को
भीगी चादर से लपेटकर lullaby गा रही है।
ये है झारखंड — जहां तंगी भी मोहब्बत में बदल जाती है।
गांव से WhatsApp तक – Alert की रफ्तार
जहां एक तरफ गांव का प्रधान माइक से चिल्ला रहा है कि "बिजली बंद रहेगी",
वहीं दूसरी तरफ व्हाट्सएप पर viral हो रही हैं बारिश में गिरे पेड़ों की तस्वीरें।
लोग सावधान हैं,
लेकिन हौसले में कोई कमी नहीं।
बिजली गई, पर उम्मीदों की रौशनी जली रही
बारिश के साथ ट्रांसफॉर्मर उड़े, लाइटें गुल हुईं,
लेकिन मोबाइल की टॉर्च से घर चला।
और गांव की वो लड़की, जिसने candle जलाकर 10वीं पास की थी,
अब बोलती है:
“अंधेरा होता है, तो ज्यादा सोचते हैं... और तभी हल निकलता है।”
पशुओं के साथ भीगता इंसान – यह है इंसानियत की भीगती तस्वीर
झारखंड के सुदूर इलाकों में लोग अपने मवेशियों के लिए छांव बना रहे हैं,
पहले उन्हें छिपाते हैं, फिर खुद भीगते हैं।
बारिश में जब आदमी जानवर को भी बचाए, तो समझो
इंसानियत की असली बरसात हो रही है।
और जब बारिश थमती है… एक नई सुबह निकलती है
बारिश के बाद का झारखंड –
मिट्टी की सोंधी खुशबू, खेतों की मुस्कान,
और सबसे बड़ी बात —
उस मां का चेहरा, जिसने सोचा था कि शायद इस बार फसल नहीं होगी।
तो ये मानसून नहीं, ये किसी देवता का आशीर्वाद है।

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