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Josh Hazlewood की 11 दिन की कहानी: IPL ट्रॉफी से WTC की हार तक।

Josh Hazlewood की फोटोज में छुपी वो कहानी जो शब्द नहीं कह सके।                 

3 जून 2025 की रात थी। चेन्नई के मैदान पर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने आखिरकार इतिहास रच दिया था – पहली बार IPL ट्रॉफी उनके नाम हुई। और इस जीत के हीरो में से एक थे जॉश हेज़लवुड। ठंडे चेहरे वाला यह ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ उस रात पूरी तरह लाल रंग में रंगा हुआ था। जश्न, पटाखे, ट्रॉफी, नाचते खिलाड़ी, और हेज़लवुड का वो शांत लेकिन गर्व से भरा मुस्कुराता चेहरा – सबकुछ जैसे किसी फिल्म का क्लाइमेक्स लग रहा था।

लेकिन किसे पता था कि ठीक 11 दिन बाद, यही खिलाड़ी एक और फाइनल में हार का गवाह बनेगा – और इस बार उसके चेहरे पर सिर्फ थकान, निराशा और नमी थी।

IPL 2025 Final: एक लाल जोश, एक जीत का स्वाद

RCB के लिए IPL 2025 का सफर किसी सपने से कम नहीं था। विराट कोहली की कप्तानी में टीम हर मोर्चे पर मज़बूत दिखी। लेकिन गेंदबाज़ी – वो हमेशा RCB की कमजोरी रही थी। और यहीं हेज़लवुड ने खुद को साबित किया।

3 जून की फाइनल रात को हेज़लवुड ने ना सिर्फ विकेट निकाले, बल्कि रन भी रोके। उनकी एक-एक गेंद में आग थी, सटीकता थी, और अनुभव था। जीत के बाद हेज़लवुड को टीम ने कंधे पर उठाया, ट्रॉफी के पास फोटो खिंचवाई, और वो लाल जर्सी में मुस्कराते हुए दिखे।

उनकी आंखों में थकान थी, मगर जीत ने उसे ढक दिया था।

पर 11 दिन बाद – सब कुछ बदल गया

14 जून 2025, लंदन के ओवल मैदान में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच WTC 2025 का फाइनल खेला गया। पूरी दुनिया की नजर इस मुकाबले पर थी। IPL के बाद अब टेस्ट क्रिकेट की असली परीक्षा थी – और हेज़लवुड एक बार फिर अपनी टीम के भरोसेमंद सिपाही थे।

मगर IPL की चमक के उलट, यहां हालात अलग थे। पिच ठंडी थी, माहौल भारी था, और सामने खड़ी थी विराट कोहली और रोहित शर्मा से सजी एक आक्रामक भारतीय टीम।

हेज़लवुड की गेंदों में वही धार थी, मगर इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया।
भारत ने पहली पारी में ही बढ़त बनाई, और दूसरी पारी में तो जैसे ऑस्ट्रेलिया का मनोबल ही टूट गया।

हेज़लवुड का बदला हुआ चेहरा

14 जून की शाम जब मैच खत्म हुआ और भारत ने ट्रॉफी उठाई, तो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी चुपचाप लाइन में खड़े थे – तालियां बजाते हुए। और वहीं एक किनारे, अपनी टोपी नीचे झुकाए खड़ा था हेज़लवुड। IPL में ट्रॉफी उठाने वाले हाथ अब जेब में थे। चेहरे पर मुस्कान की जगह संजीदगी थी। आंखों में वो चमक नहीं थी – शायद सिर्फ खालीपन था।

जिस खिलाड़ी ने 11 दिन पहले इतिहास रचा था, वही अब हार का बोझ उठाए खड़ा था।

क्या ये थकान थी, या दिल का टूटना?

IPL से WTC के बीच सिर्फ 11 दिन का गैप था।
RCB की जीत के बाद हेज़लवुड भारत से सीधे इंग्लैंड रवाना हुए। टाइम ज़ोन बदला, पिच बदली, फॉर्मेट बदला – मगर उन्हें खुद को नहीं बदलने का वक्त मिला।

टेस्ट क्रिकेट मानसिक रूप से एक और ही स्तर की परीक्षा है। और जब आप IPL जैसी हाई-एनर्जी लीग से निकलकर इतने बड़े फाइनल में उतरते हैं, तो सिर्फ शरीर नहीं, दिमाग भी जवाब देने लगता है।

क्रिकेट सिर्फ स्कोर का खेल नहीं है। यह जज़्बातों, तैयारी और आत्मा की परीक्षा है। और शायद हेज़लवुड की आत्मा उस दिन थकी हुई थी।

एक खिलाड़ी, दो कहानियां

ये 11 दिन, क्रिकेट के सबसे बड़े विरोधाभास को दर्शाते हैं।
IPL की चमक, पैसा, जश्न और स्टारडम – और दूसरी ओर WTC की गंभीरता, सफेद कपड़े, ठंडी सुबहें और नीरव हार।

हेज़लवुड इन दोनों के बीच फंसे एक सच्चे खिलाड़ी की तस्वीर बन गए।
वो खिलाड़ी जिसने दोनों दुनिया देखी – एक तरफ IPL की ट्रॉफी की गर्माहट और दूसरी तरफ टेस्ट क्रिकेट की हार की सर्द हवा।

फैंस के लिए हेज़लवुड अब एक इमोशन हैं

इस पूरे सफर ने हेज़लवुड को एक क्रिकेटर से ज़्यादा बना दिया है।
अब वो सिर्फ विकेट लेने वाला खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक इमोशन हैं –
जो हमें बताते हैं कि खेल जीत और हार से कहीं बड़ा होता है।
जो दिखाते हैं कि कैसे एक इंसान सब कुछ पाकर भी अधूरा महसूस कर सकता है।

वो फोटो जो सब कहती है

एक तरफ हेज़लवुड RCB की जर्सी में ट्रॉफी के साथ मुस्कराते हैं।
दूसरी तरफ, WTC फाइनल के बाद वो सिर झुकाए खड़े हैं।

इन दोनों फोटो को साथ रखो – और समझ जाओ कि क्रिकेट क्या होता है।
ये सिर्फ एक गेंद का खेल नहीं, ये इंसानी जज़्बातों का आईना है।

अब आगे क्या?

हेज़लवुड इस हार से टूटेंगे नहीं – ये हम जानते हैं।
क्योंकि जो खिलाड़ी मैदान में उतरता है, वो गिरने के लिए नहीं, फिर उठने के लिए ही उतरता है।
IPL की जीत को वो भुला देंगे, WTC की हार उन्हें जलाती रहेगी – और यही आग उन्हें अगले मैचों में और खतरनाक बनाएगी।


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